इश पोस्ट मै हम भगवान श्री कृष्ण के बारे मै जानेंगे – भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के 8वे अवतार है । श्री कृष्ण का जनम द्वापर युग मै हुआ था । उनकी माता का नाम देवकी ओर पिता का नाम वासुदेव था । बालपन से ही भगवान श्री कृष्ण बहुत ही नटखट थे , जिनकी कथा हम आज तक सुन रहे है । कसं का अंत करने के बाद भगवान श्री कृष्ण ने द्वारिका नागरी का निर्माण किया था जोकि बहोऊत ही खूबसूरत नागरी थी । महाभारत मै भी भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को युद्ध जीतने मै सहायता की थी । तो चलिए हम भगवान श्री कृष्ण की आरती करते है ।
श्री कृष्ण जी की आरती
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ॥

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक ॥
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की ।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की ॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग ॥
मधुर मिरदंग ग्वालिन संग, अतुल रति गोप कुमारी की ।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की ॥
जहां ते प्रकट भई गंगा , सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस ॥
जटा के बीच, हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की ।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की ॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू, हंसत मृदु मंद ॥
चांदनी चंद, कटत भव फंद, टेर सुन दीन दुखारी की ।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥