इस पोस्ट मै हम खाटू श्याम जी की आरती के बारे मै जानेंगे – खाटू श्याम जी की कहानी महाभारत से शुरू हुई थी। द्वापर युग मै वह बर्बरीक के नाम से जाने जाते थे। वे महान पांडव भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र हैं। पचपन से ही वे वीर और महान योद्धा थे। खाटू श्याम जी ने युद्ध कला अपनी मां से सीखी। इसके अलावा उन्होंने महादेव की घोर तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया और तीन अभेध्य बाण प्राप्त किए और तीन बाणधारी का प्रसिद्ध नाम प्राप्त किया। खाटू श्याम जी को प्रससन करने के लिए यह आरती गाये ।
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे॥
॥ॐ जय श्री श्याम हरे…॥
रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे।
तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े॥
॥ॐ जय श्री श्याम हरे…॥
गल पुष्पों की माला, सिर पार मुकुट धरे।
खेवत धूप अग्नि पर दीपक ज्योति जले॥
॥ॐ जय श्री श्याम हरे…॥
मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे।
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे॥
॥ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे।
भक्त आरती गावे, जय – जयकार करे॥
॥ॐ जय श्री श्याम हरे…॥
जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे।
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम – श्याम उचरे॥
॥ॐ जय श्री श्याम हरे…॥
श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत भक्त – जन, मनवांछित फल पावे॥
॥ॐ जय श्री श्याम हरे…॥
जय श्री श्याम हरे, बाबा जी श्री श्याम हरे।
निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे॥
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे॥
यह भी पढ़े – काली माँ की आरती | माता काली की आरती | महाकाली की आरती | Kali Ma Ki Aarti| Kali Mata Ki Aarti Lyrics