ये हैं महाभारत के 3 सबसे बड़े महारथी जिन्हें छल से मारा गया : दोस्तों जैसा की हम सभी जानते है की महाभारत का युद्ध द्वापर युग का सबसे बड़ा युद्ध था जोकि पांडवो एव कौरवो का बीच लड़ा गया था। दोनों ही तरफ दुनिया के बड़े बड़े महारथिओं ने भड चढ़ का भाग लिया। इनमे से ऐसे 3 महाबली की हम बात करने वाले है जिन्हें भागवत गीता में श्रेष्ठ वह उत्तम कोटि का योद्धा माना गया है।
विश्व विख्यात भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ के अनुसार महाभारत का युद्ध 18 फरवरी 3102 कुरुक्षेत्र भूमि पर हुआ था। कहा जाता है की महाभारत के युद्ध मे १ करोड़ से अधिक योद्धाओ को वीर गति प्राप्त हुई थी। जिनमे 100 कौरव भाइयों की जान गई थी।
वो 3 महारथी जिन्हें छल से मारा गया।
1 भीष्म पितामह
भीष्म पितामह महाराज शांतनु एवं माता गंगा का पुत्र थे। भीष्म पितामह माता गंगा का आठवे पुत्र था जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। बल पन से हे भीष्म पितामह साहसी थे। भीष्म के गुरु भगवान परशुराम जी थे जिनसे उन्होंने धनुर्विद्या प्राप्त की।
महाभारत के युद्ध के दौरान जब पितामह पांडवों की सेना को काफ़ी हानि पंहुचा रहे था तभी श्री कृष्णा ने पांडवो को यह सुझाव दिया की श्रीखंडनी नमक एक स्त्री है ।
जिसे वरदान है कि वह 1 दिन का लिया पुरुष का रूप धारण कर सकती है और जिन्हे वरदान है की वह जब रणभूमि में पितामह का सामने आयेंगी तब भीष्म अपने शास्त्रों का त्याग कर देंगे जिसका फायदा अर्जुन ने उठाया और भीष्म पे बाणों की वर्षा कर दी। कहा जाता है पितामह भीष्म युद्ध का 58 दिन बाद मृत्यु को प्राप्त हुए। तो ये था वो पहला महारथी जिसे छल से मारा गया।
2 द्रोणाचार्य
द्रोणाचार्य पांडवों एवं कौरवों के गुरु थे। महाभारत का युद्ध में द्रोणाचार्य कौरवों की तरफ सा लड़े ओर वीरगति को प्राप्त हुए। माना जाता है द्रोणाचार्य को मारना संभव नहीं था क्योंकि वह सभी अस्त्र शास्त्रों से निपूर्ण थे। द्रोणाचार्य के पुत्र का नाम अश्वत्थामा था जो की दुर्योधन का मित्र था।
पुत्र मोह में आकर द्रोणाचार्य ने दुर्योधन को वचन दिया की वह युद्ध में कौरवों का साथ देंगे और उन्हें विजय बनाएंगे।युद्ध भूमि मै जब द्रोणाचार्य युद्ध लड़ रहे थे तब भीम ने उनसे कहा की उसने अश्वत्थामा का वध कर दिया है जबकि भीम ने अश्वत्थामा नमक एक हाथी को मारा था।
द्रोणाचार्य जानते थे कि युधिष्ठिर कभी झूठ नहीं बोलते। तो जब उन्होंने युधिष्ठिर पूछा तो युधिष्ठिर ने अपने गुरु से कहा कि अश्वत्थामा मारा गया। लेकिन युधिष्ठिर कि पूरी बात सुनने से पहले हे वह दुःख के मरे अपने शास्त्र छोड़ चुके था जिसका फायदा उठा कर धृष्टद्युम्न ने उनका वध कर दिया।
3 कर्ण
कर्ण जिन्हें हम दानवीर का नाम सा भी जानते है वह माता राधा व अधिरथ के पुत्र थे जिनकी जननी माता कुंती हैं । कर्ण एक महान वीर के साथ ही काफ़ी बड़े दानी भी थे। कहा जाता है की करना सा बड़ा दानी न कभी जन्म लिया है न हे लेगा। बालपन से हे कर्ण और अर्जुन मै काफ़ी पारसप्रधा थी। दोनों ही महान योद्धा थे। किंतु गुरु द्रोण के कारण सभी अर्जुन को ही महान योद्धा मानते थे।
कर्ण के गुरु भगवान परशुराम थे जिनसे उन्हें दिव्यास्त्रों का ज्ञान प्राप्त हुआ लेकिन क्योंकि कर्ण ने खुद को ब्राह्मण बता के धोखे से ज्ञान प्राप्त किया था। तब भगवान परशुराम ने उन्हें श्राप देते हुए कहा की जब कर्ण को अपने दिव्यास्त्रों की सबसे ज्यादा आवश्यकता होगी तब वह अपना सारा ज्ञान भूल जायेंगे।
यह श्राप कर्ण की मौत का कारण भी बना। कहाँ जाता है जब कर्ण सूर्य देव की पूजा के बाद जो भी वस्तु उनसे मांगी जाती थी वह उसका दान कर देते थे| जिसका फायदा उठा के कर्ण से उनके कवच व कुंडल भी छीन लिए गए। तो ये थी उन 3 महान महारथियों की कहानी जिन्हें छल से मारा गया ।
महाभारत के युद्ध में और भी कई महान योद्धा थे जो बहुत शक्तिशाली थे | लेकिन ये वह 3 योद्धा थे जिन्हें अगर छल से न मारा गया होता तो महाभारत के युद्ध का अंजाम कुछ और होता।
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