आखिर क्यों इन्द्र को हड्डियों से बने दिव्यास्त्र का प्रयोग करना पड़ा
by:Aman
हालांकि इन्द्र को देवों का राजा कहा जाता है मगर वो ज्यादा बुद्धिमान नहीं थे
इन्द्र के अंदर किसी सामान्य मनुष्य की तरह ही क्रोध, गर्व, ईर्ष्या, अहंकार और भय का भाव जाग उठता था
एक दिन जब इन्द्र स्वर्ग में थे और अपने चारों ओर फैले प्रकृति की सुंदरता का आनंद ले रहे थे
उसकी सुंदरता और भव्यता के बारे में सोच रहे थे, उस वक्त उन्हें इस पर बहुत गर्व महसूस हो रहा था
तब उनके मन में आया की इस सारी सुंदरता का स्वामी मैं ही हूँ और वास्तव में मैं राजाओं का राजा भी हूँ
इंद्र ने सोचा कि वह सबसे श्रेष्ठ हैं। जैसे ही यह सब विचार उनके मन में चल रहा था
बृहस्पति प्रवेश कर गए जो सभी देवों के गुरु हैं। लेकिन इंद्र अपने अभिमान में इतने मग्न थे कि वे
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