Mrityunjaya Bhagwan ji ki Aarti – मृत्युंजय भगवान जी की आरती

मृत्युंजय महादेव नमः, शिव शंकर महादेव नमः।

तेरी शरण जो आए, तेरी महिमा गाए, किरपा करो देवा।।
तैंतीस अक्षर का मंत्र, जो कोई जाप करें, स्वामी जो कोई जाप करें।
आदि-व्याधि मिटे सब, दुःख दुविधाएं मिटे सब, उनके भाग जगें ॥ 1 ॥ महामृत्युंजय…

तेरा ध्यान निराला, जो कोई कर पावे, स्वमी जो कोई कर पावे, काल भी उसका करे क्या,
ग्रह दोष भी उसका करे क्या, भव से तर जावे॥ 2 ॥ मृत्युंजय…

तेरा मंत्र जो गावे, दुःख मिटे तन का, भोले रोग मिटे तन का।
तेरी कृपा से देवा, तेरी दृष्टि से देवा, संताप मिटे मन का || 3 || मृत्युंजय…

शुक्र मार्कण्डेय ने जो ध्याया, अमरता को पाया, शंकर अमरता को पाया।
उन पर दया हो तेरी, अनुकंपा हो तेरी शरण में जो आया ॥ 4॥ मृत्युंजय…

पशुपति नाथ कहें सब, आशुतोष कहें, शिव आशुतोष कहें।
औघड़ दानी गिरिषा, वामदेव त्रिपुरारी, सब में तू ही रहे॥ 5 ॥ मृत्युंजय…

सब के दुःख तू मिटाए, शांति समृद्धि लाये, शिव शांति समृद्धि लाये।
भटके हुओं को दाता, विमुख हुओं को बाता, राह पे ले आये ॥ 6 ॥ मृत्युंजय…

भूत प्रेत पैशाचिक ऊर्जा, सब ही दूर रहें, स्वामी सब ही दूर रहें।
आपदा विपदा निवारे, दुष्टों को भी संहारे, जो कोई मन से जपे ॥ 7 ॥ मृत्युंजय…

हम मूरख अज्ञानी, राह दिखा स्वामी, हमें राह दिखा स्वामी।
दूर हों सब अँधियारे मन में न पाप विचारें, पार लगा स्वामी॥ 8॥ मृत्युंजय…

मृत्युंजय देव की आरती सब मिल कर गाएं, आओ सब मिल कर गाएं।
कहत जोगी जी हम सब सहजानंद नाथ कहें सब, आत्मज्ञान पाएं, मोक्ष को सब पाएं ॥ १॥ मृत्युंजय…

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