क्यों भगवान शिव ने एक महिला को कुरूप बना दिया: बहुत पहले, सुंदर कराईकल बंगाल की खाड़ी में एक संपन्न बंदरगाह और एक प्रमुख व्यावसायिक स्थल था। यहाँ के एक धनी और धर्मपरायण व्यापारी दानदत्तन को एक पुत्री की प्राप्ति हुई थी। उन्होंने उसका नाम पुनीतवती रखा।
वह एक धर्मनिष्ठ हिंदू परिवार में पैदा हुई थीं और धार्मिक भक्ति से घिरी हुई थीं। खेल के दौरान भी वह खिलौनों के मंदिर बनवाती और शिव के नाम का जाप करती। जब वह बड़ी हुई, तो उसने परमदत्तन से विवाह किया, जिसके पिता बहुत धनी थे। परमदत्तन अपनी शादी से बहुत खुश थे।
एक दिन परमादतन के कार्यस्थल पर, दो व्यवसायी उनसे मिले और उन्हें दो पके आम भेंट किए। उसने उन्हें दोपहर के भोजन के लिए घर भेज दिया।
लगभग इसी समय, शिव का एक भक्त पुनीतवती के पास भोजन मांगने आया। उसने उसे खूब खिलाया और एक आम भी दिया। भक्त बहुत संतुष्ट हुआ और अपनी यात्रा पर निकल गया।
उस दिन, परमदत्तन ने दोपहर का भोजन किया, और पुनीतवती ने उनकी थाली में एक आम रखा। चूंकि यह मीठा था, परमदत्तन ने दूसरा आम भी मांगा। पुनीतवती दुविधा में थी, इसलिए उसने शिव से प्रार्थना की और उसके हाथ में एक आम गिर गया। उन्होंने परमदत्तन को वह आम दिया। जब परमदत्तन ने उसे चखा तो वह चकित रह गया।
पुनीतवती एक ईमानदार और सच्ची औरत थी, और उन्होंने परमदत्तन को बताया कि कैसे उन्होंने एक भूखे भक्त को एक आम दिया था। पर परमदतन को इस पर विश्वास नहीं हुआ और सोचा की जरूर उसकी पत्नी कसीस दुराचार को छुपाने के लिए झूठ बोल रही है|
उसने अपनी पत्नी की परीक्षा लेने के लिए उसे फिर से एक आम लाने को कहा | पुनितवती दुविधा में पड़ गई कैसे वो बार बार भगवान शिव से आम के लिए प्रार्थना करेंगी, फिर भी उन्होंने रसोई में जाकर भगवान शिव से मदद मांगी और उन्होंने भी अपने भक्त को निराश नहीं किया और एक आम उसके हाथ में डाल दिया|
जब पुनितवती वह आम परमदतन के हाथ में रखा तो आम को हाथ में देते ही वो आम परमदतन के हाथ से गायब हो गया| यह देख कर परमदत्तन डर गया। उसने सोचा कि पुनीतवती कोई साधारण प्राणी नहीं है और उसके पास उसे नहीं जानया चाहिए वरना उसको भविष्य में कोई न कोई नुकसान हो सकता है और यह सोचकर उसने घर छोड़ दिया।
परमदत्तन पास ही के पांड्य नाम की जगह पर चला गया और वहीं जाकर बस गया वहाँ उसने एक दूसरी महिला से शादी कर ली, और उससे उसको एक कन्या की प्राप्ति हुई जिसका नाम उसने पुनीतवती रखा।
जब कराइक्कल में उसके रिश्तेदारों को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने परमदत्तन को उसकी पहली पत्नी को वापस अपनाने के लिए कहा मगर उसने मना कर दिया|
इस बीच पुनीतवती ने शिव से उसे कुरूप बनाने की प्रार्थना की ताकि वह बिना किसी बाधा के थिरुवलंकडु में उसकी पूजा कर सके। इस तरह का अनुरोध भगवान शिव के लिए वास्तव में एक अजीब अनुरोध था! प्रभु ने मोह माया की इस दुनिया में पुनितवती की सार्थक आवश्यकता महसूस की| पुनितवती एक कुरूप स्त्री में परिवर्तित हो गई जो अपने हृदय के अंदर सारी सुंदरता समेटे हुई थी|
कराईकल की यह महिला भारतीय संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। जब एक गृहिणी होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ तो वे एक आदर्श पत्नी और परिचारिका थीं। हालाँकि, जब उन्हें पता चला कि उनके पति ने उन्हें त्याग दिया तो प्यार या डर के कारण सम्मान की परवाह नहीं की, तो उन्होंने अपनी आँखें भक्ति की ओर कर ली| उनके मुंह से न कटु वचन निकले, न ही किसी के लिए कोई कटु भावना थी।
दुनिया उन लोगों से कभी नफरत नहीं करती है जिन्होंने शिव चेतना के अमृत आनंद को महसूस लिया हो।