विभिन्न प्रकार के दुख जिनका वेदों में उल्लेख है? कैसे मनुष्य के खुद के कर्म उसके दुख का कारण हैं?

विभिन्न प्रकार के दुख जिनका वेदों में उल्लेख है: तीन दुख हर मनुष्य के जीवन में आते हैं।

हर मनुष्य इस संसार में आने के बाद किसी न किसी वजह से दुखी ही रहता है, जिसके पास सब कुछ है वह भी दुखी है और जिसके पास कुछ भी नहीं है वह भी दुखी है।

चाहे दुख कितने भी तरह के हों, वेदों में इन दुखों को तीन भागों में बांटा गया है, जो कभी ना कभी जरूर आते हैं।

कोई भी प्राणी व पदार्थ किसी को दुख देने की शक्ति नहीं रखता सब अपने ही कर्मों का फल दुख के रूप में भोगते हैं।

वेदों में ताप को दुख की संज्ञा दी गई है। दुख तीन प्रकार के होते हैं, यह हैं-

  • दैहिक दुख/ आध्यात्मिक दुख
  • भौतिक दुख/ आधिभौतिक दुख
  • दैविक दुख/ आधिदैविक दुख
दैहिक दुख, दैविक दुख, भौतिक दुख

इन सभी दुखों में दैहिक दुख सबसे प्रमुख है और दैहिक दुख को भी दो भागों में बांटा गया है।

पहला है शारीरिक दुख

और

दूसरा है मानसिक दुख

इस संसार में अधिकांश व्यक्ति किसी ना किसी शारीरिक बीमारी से ग्रसित है| इस शारीरिक बीमारी के वजह से मनुष्य अपने जीवन में कभी ना कभी दुख झेलता ही है और इसी को शारीरिक दुख कहते हैं।

मानसिक रोग कई कारणों से होता है जैसे कि काम, क्रोध, मोह, लोभ, मद, घृणा, ईर्ष्या और भय। लेकिन इनमें से क्रोध, काम और लोभ मानसिक दुख के सबसे बड़े कारण हैं।

मनुष्य के मन की इच्छाएं उसको दुखी करने का काम करती हैं। मनुष्य तब तक सुखी नहीं रह सकता जब तक उसके मन के ऊपर इच्छाएं हावी है। मनुष्य अपने इच्छाओं के वजह से भी अपने सुख में भी दुख को भोगता है।

भौतिक दुख मनुष्य को किसी दूसरे मनुष्य के कारण से मिलता है। जैसे एक स्थान में यज्ञ करने से दूसरे स्थानों का वायुमंडल भी शुद्ध होता है, एक स्थान से अगर दुर्गंध फैलता है तो उस दुर्गंध का प्रभाव दूसरे स्थानों पर भी पड़ता है। सड़क पर किसी तरह का दुर्घटना होना, किसी मारपीट में घायल होना यह सब किसी दूसरे व्यक्ति के कार्य के कारण मनुष्य भोगता है। इस संसार में मनुष्य दूसरे मनुष्य से किसी ना किसी सूत्र से बंधा हुआ है इसलिए दूसरे मनुष्य का कर्म हमारे किसी न किसी भौतिक दुख का कारण बनता है।

दैविक दुख मनुष्य को देवता से, मौसम से या प्रकृति से मिलता है। जैसे कि किसी प्राकृतिक आपदा का आना, भीषण गर्मी के होने से हीट स्ट्रोक का होना, ठंड पड़ने से सर्दी जुखाम का होना।

भौतिक दुख, दैहिक दुख और दैविक दुख हमें हमारे कर्मों की वजह से ही मिलते हैं।

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