क्यों नारी के पेट में कोई बात छुपी नहीं रह सकती और इसका महाभारत से क्या नाता है? क्यों कहते हैं कलियुग में श्राप का असर तुरंत नहीं होता ?

क्यों नारी के पेट में कोई बात छुपी नहीं रह सकती: कलयुग की शुरुआत 5000 साल पहले हो चुकी है और इसका अंत होने में अभी लाखों साल बाकी हैं। 

सबसे प्रमुख चार युग जो हमारे ग्रन्थों और पुराणों में सबसे  खास बताए गयें हैं वो हैं:

सतयुग

त्रेता युग

द्वापर युग

कलियुग

जब कलियुग में पाप अपने चरम पर होगा तो क्या उस युग में मनुष्य को श्राप लगने का कोई महत्व रह जायेगा?

सतयुग ने ऋषि मुनियों के पास अपार शक्ति होने के बावजूद  उन्होंने कभी इस शक्ति का कोई गलत फायदा या फिर इनका दुरुपयोग नहीं किया।

जैसा कि हमने बहुत से धार्मिक धारावाहियों में देखा है कि उनके श्राप का असर इतना तीव्र होता था कि तुरन्त ही उसका प्रभाव दिखना शुरू हो जाता था और उस समय ऋषि मुनि ये जानते थे कि उनके श्राप का बुरा प्रभाव उस व्यक्ति/ प्राणी पर पड़ेगा जिससे उसको हानि होगी इसलिए उन्होंने कभी भी अपने इस शक्ति का गलत इस्टीमाल नहीं किया।

उस समय तो कई मनुष्य ईश्वर की कठोर तपस्या और आराधना कर दिव्यशक्तियों को भी अर्जित कर लेते थे पर उन्होंने भी कभी द्वेष भावना से किसी को श्राप नहीं दिया क्योंकि उनको पता होता था कि उनके श्राप का असर होगा ही होगा और गलत तरीके से इस्टीमाल करने पर दिव्यशक्ति कम अथवा खत्म भी हो जाती थी।

आजसे पहले के जो 3 युग थे उनमें पाप जोता नहीं था और अगर पाप होता भी था तो उसका नाश करने के लिए स्वयम भगवान किसी न किसी रूप में प्रकट हो जाते/ अवतार लेकर आते थे।

भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन ने भगवत गीता में कहा है कि तीन युगों में तो इंसान ने कोई पाप नहीं किया मगर कलियुग में इंसान बहुत पाप करने वाला है और इससे छुटकारा पाने के लिए श्री हरि का नाम लेना पड़ेगा। कलियुग में पाप होने की वजह से पुण्य आत्माएं बहुत कम होंगी और पापी आत्माएं बहुत संख्या में होंगी और इस कारण किसी को भी श्राप का प्रभाव जल्दी पड़ने वाला नहीं होगा।

अगर कलियुग में कोई किसी को श्राप देगा तो उसका प्रभाव तो पड़ेगा पर उसका असर धीरे धीरे होगा क्योंकि इस व्यक्ति ने श्राप दिया है उसने भी कहीं न कहीं अपने जीवन में पाप किये होंगे जिसकी वजह से उंस श्राप का असर धीरे धीरे होगा।

भगवान इस संसार में का संचालन करने के लिए पहले भी थे, अभी भी हैं और भविष्य में भी रहेंगे।

हमें केवल ईश्वर पर भरोसा रखना है जो व्यक्ति ईश्वर पर श्रद्धा रखते हैं उनपर ईश्वर हमेशा नज़र बनाये रखते हैं।

जैसे किसी के आशीर्वाद से शुभ योग बनता है ठीक उसी तरह किसीके श्राप से अशुभ योग भी बनता है।

अधर्म की जीत कभी नहीं हुई है चाहे भूतकाल, भविष्यकाल हो या फिर वर्तमान काल हो।

अगर आशीर्वाद में विश्वास है और उसके प्रभाव में विश्वास है तो श्राप और किसी पाप की वजह से श्राप के असर पर भी विश्वास रखना पड़ेगा।

महाभारत में भी बहुत श्राप दिए गए और इन श्रापों में से कुछ श्रापों के प्रभाव मनुष्य अभी भी भुगत रहे हैं।

क्यों नारी के पेट में कोई बात छुपी नहीं रह सकती
क्यों नारी के पेट में कोई बात छुपी नहीं रह सकती

यह बात तो काफी प्रचलित है कि कोई भी स्त्री अपने पेट में कोई बात ज्यादा देर तक छुपा कर नहीं रख सकती, मगर आपको यह पता है कि इसका कारण भी एक श्राप ही है जो युधिष्ठिर ने दिया था जब उसे पता चला था कि उसकी माँ कुंती को ये पता था कि कर्ण पांडवों का सबसे बड़ा भाई है, पर इस सच को कुंती ने पांडवों से छुपा कर रखा और युधिष्ठिर को इस बात की ग्लानि हुई कि पांडव खुद अपने ही बड़े भाई का मृत्यु का कारण बन गए हैं।

इसके बाद युधिष्ठिर ने समस्त नारी जाति को यह श्राप दिया कि आजके बाद कोई भी नारी अपने अंदर कोई भी बात छुपा नहीं पाएगी, और इस श्राप का प्रभाव आज भी कलियुग में नारी जाति को झेलना पड़ रहा है।

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