कौन था भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की संतान? क्यों माता लक्ष्मी को घोड़ी का रूप धारण करना पड़ा? किस नदी किनारे हुआ था माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु के संतान का जन्म?

भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की संतान: हम लगभग हर भगवान और देवी के संतान के बारे में जानते हैं मगर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के संतान के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं|या फिर कोई नहीं जानता|

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की एकमात्र संतान ही पैदा हुई थी और एक विशेष कारणवश माता लक्ष्मी को अपने संतान को वन में छोड़नया पड़ा था|

देवी भागवत पुराण के एक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी को घोड़ी होने का श्राप दे दिया था इस कारण माता लक्ष्मी घोड़ी बनकर यमुना और तमसा नदी के संगम में रह रही थी|

उस जगह रहकर माता लक्ष्मी ने शिवजी की पूजा अर्चना की और माता की तपस्या से प्रसन्न होकर शंकर जी ने लक्ष्मी माता को वरदान दिया वह शीघ्र ही अपने पति विष्णु का सानिध्य प्राप्त करेगी और एक पुत्र की मां बनने के पश्चात विष्णुजी के कहे अनुसार इस श्राप से मुक्त होकर पुनः वैकुंठ धाम चली जाएंगी|

यह वरदान देने के बाद शिव जी माता पार्वती के साथ कैलाश पर चले गए और कैलाश में आकर शिवजी ने अपने चित्र रूप को बुलाया और कहा, चित्र रूप तुम अभी इसी समय वैकुंठ जाओ और वहां जाकर विष्णुजी को मेरा एक संदेश दो| उनसे कहो कि वे उस जगह पर जाएं जहां पर भगवती लक्ष्मी घोड़ी का रूप धारण करके रह रही है|

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी

भगवान शंकर की आज्ञा के अनुसार चित्र रूप उसी श्रण वैकुंठ चले गए और चित्र रूप ने विष्णु जी से मिलकर उनको सारी बातें बताई| चित्र रूप की बातें सुनकर भगवान विष्णु ने चित्र रूप को कहा मैं अवश्य ही लक्ष्मी जी से भेंट करने जाऊंगा और महादेव के वरदान अनुसार उन्हें वापस भी लेकर आऊंगा|

इसके बाद चित्र रूप वहां से लौट जाते हैं| इसके बाद विष्णु भगवान यमुना और तमसा नदी के संगम के स्थान पर आते हैं| वहां देवी लक्ष्मी एक घोड़ी के रूप में विष्णु जी की प्रतीक्षा कर रही थी और उस समय विष्णु जी ने भी एक सुंदर घोड़े का रूप बना लिया था|

जब देवी ने देखा कि एक घोड़ा उनकी तरफ आ रहा है वह तुरंत पहचान गई कि वह भगवान विष्णु हैं जिन्होंने घोड़े का रूप धारण किया है| इसके बाद घोड़ा और घोड़ी के रूप में भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का संगम हुआ और लक्ष्मी जी ने गर्भ धारण कर लिया और समय आने के बाद माता लक्ष्मी ने एक सुंदर बालक को जन्म दिया|

इस बालक का विष्णु जी ने हैहय रखा| बालक को जन्म देने के बाद विष्णु जी ने लक्ष्मी जी को बोला कि आप अपना वास्तविक रूप धारण करें और हम लोग वैकुंठ की तरफ चलते हैं और इस बालक को हम यही छोड़ देते हैं|

मैंने पहले ही इस बालक के पालन पोषण की व्यवस्था कर दी है, जिसके बाद माता लक्ष्मी और विष्णु जी वैकुंठ धाम जाने के लिए तैयार हो गए|

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