क्या भगवान ने इस सृष्टि की संरचना की है: ऐसे बहुत से विषय हैं जिसमें कभी न समाप्त होने वाली बहस हो सकती है, और सबसे चर्चित विषय धर्म और भगवान की अस्तित्व को लेकर है|
इस विषय पर कभी भी लोग एकमत नहीं हो सकते| जीवन की शुरुआत कैसे हुई इस पर विज्ञान और धर्म ग्रंथों के विचार एक दूसरे से बिल्कुल ही अलग हैं|
विज्ञान के अनुसार इस सृष्टि की उत्पत्ति प्राकृतिक रूप से हुई है, जीव जंतु मानव सब अपने आप ही उत्पन्न हुए हैं|
स्टीफन हॉकिंस जो एक बहुत ही चर्चित वैज्ञानिक थे उन्होंने खुद कहा था, इस दुनिया में जो भी है वह स्वयं ही उत्पन्न हुआ है स्टीफन हॉकिंस के अनुसार ब्रह्मांड एक प्राकृतिक घटना है और इस ब्रह्मांड में भगवान का कोई भी अस्तित्व नहीं है|
स्टीफन हॉकिंस ने बिग बैंग थ्योरी के जरिए इस ब्रम्हांड के सृष्टि को समझाने की कोशिश भी की|
बिग बैंग थ्योरी के अनुसार 15 अरब वर्ष पूर्व सभी भौतिक तत्व और ऊर्जा एक ही बिंदु पर एकत्रित थे, और इसके बाद इस बिंदु का विस्तार होना प्रारंभ हुआ, जिसमें एक बहुत बड़ा विस्फोट हुआ|
इस विस्फोट से ब्रह्मांड के प्रारंभिक कण पूरे अंतरिक्ष में फैल गए और एक दूसरे से दूर होने लगे|
स्टीफन हॉकिंग के अनुसार बिग बैंक से पहले समय का कोई अस्तित्व ही नहीं था और जब समय की जैसी कोई वस्तु ही नहीं थी तो भगवान किस तरह इस ब्रह्मांड का निर्माण कर सकते हैं| अतः ब्रम्हांड को बनाने में भगवान की कोई भूमिका ही नहीं थी|
उनके अनुसार ब्रह्मांड के कुछ ऐसे नियम हैं जो किसी भी स्थिति में नहीं बदल सकते| जब सब चीजें नियमों के अनुसार ही होती हैं तो इस ब्रह्मांड की सृष्टि में भगवान की क्या भूमिका है?
अगर स्टीफन हॉकिंग के लोगी के हिसाब से चलें तो यह अचरज भी होता है की जब हर चीज एक नियम से हुआ है, तो कैसे प्राकृतिक रूप से हर चीज इतनी व्यवस्थित तरीके से बनी हैं?
कैसे मानव शरीर, जीव जंतुओं का शरीर, मानव और जीव-जंतुओं का जन्म से मृत्यु तक का सफर आयु के अनुसार होता है?
हर जीव जंतु के शरीर का विकसित होना, पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार की ऋतुएं और उन ऋतुओं का हर साल एक पैटर्न को पालन करना, किस तरह हर जीव जन्म से पता लगा लेता है कि उसे क्या खाना है क्या पीना है?
प्रकृति में यह सभी व्यवस्थाएं क्या मात्र एक संयोग है या सब अपने आप ही बन गया?
प्रकृति में सारी चीजें अपने आप ही व्यवस्थित हो गई, यह विश्वास करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है|
इसके उलट अगर हम अपने वेदों को पढ़ते हैं तो उनमें ब्रह्मांड और इस सृष्टि के विषय में पूरी जानकारी दी गई है|
वेदों के अनुसार इस ब्रह्मांड का कोई अंत ही नहीं है और हम मनुष्य इस ब्रम्हांड के केवल एक बिन्दु मात्र हैं|
विभिन्न धर्मों के लोगों का मानना है कि इस ब्रह्मांड की सृष्टि उन्होंने की है जिसको वो पूजते हैं यानि के उनके ईश्वर/ आराध्य ने|
इससे फिर यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि अगर हम सभी को ईश्वर ने बनाया है तो ईश्वर को किसने बनाया है?
मनुष्य की उत्पत्ति जब से हुई है तब से मनुष्य के अंदर यही जिज्ञासा है कि भगवान कौन है और भगवान के रचैता कौन हैं?
यह प्रश्न सुनते ही हम सब एक तरह की चुप्पी साध लेते हैं क्योंकि इस प्रश्न का हमारे पास कोई सटीक उत्तर नहीं है|
कुछ विद्वान मानते हैं कि भगवान कोई और नहीं एलियंस है, यानी कि दूसरे ग्रहों के वासी|
हमारे वेदों में कुल 64 आयामों का वर्णन मिलता है| इन आयामों को अगर हम विभाजित करते हैं तो अनगिनत आयाम बन जाते हैं| वेदों के अनुसार यह ब्रह्मांड तीन स्तरों में विभाजित है|
यह तीन स्तर हैं:
स्वर्ग लोक
पृथ्वी लोक
नर्क लोक
वेदों के अनुसार भगवान विभिन्न आयामों से इस धरती पर आते हैं ताकि वह मनुष्य को धर्म की शिक्षा दे सकें|
मनुष्य के जीवन का क्या उद्देश्य है उसको समझाने के लिए समय-समय पर भगवान अवतरित होते हैं|
वेदों के अनुसार स्वर्ग लोक में देवता निवास करते हैं और वहां की स्थिति पृथ्वीलोक की अपेक्षा बहुत ही अच्छी होती है|
वहां भी मृत्यु होती है और अगर किसी के कर्म खराब रहते हैं तो शास्त्रों के अनुसार वह वहाँ जीवन व्यतीत नहीं कर सकता और उसे मृत्यु लोक अर्थात पृथ्वी लोक मैं जन्म मिलता है|
भागवत पुराण में वैकुंठ धाम का वर्णन है, जहां भगवान विष्णु निवास करते हैं| और इसे ही आत्मा का गंतव्य स्थान कहा गया है|
अगर मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति हो तो उस आत्मा को वैकुंठ धाम की ही प्राप्ति होती है|
हिंदू धर्म के अनुसार भगवान को ही हम अपना कर्ताधर्ता मानते हैं और वही हैं जो हमारे जीवन के सभी चीजों को तय करते हैं| इसलिए हम पूरी तरह से उनके ऊपर आश्रित हैं|
कुछ पश्चिमी विद्वानों के अनुसार भगवान कृष्ण भी दूसरे ग्रह से यहां आए थे| जबकि सोचने वाली बात यह है कि जो दूसरे से ग्रह से यहां आते हैं वे अपने रूप में ही आते हैं ना कि पृथ्वी पर जन्म लेते हैं|
भगवान राम, भगवान कृष्ण आदि ने पृथ्वी पर जन्म लिया था, जिससे वे हमें यह समझा सके कि किस प्रकार मनुष्य को जीवन व्यतीत करना है|
यदि आप थोड़ा भी विश्वास रखते हैं कि भगवान है तो उनसे प्रेम कीजिए ना कि उनके अस्तित्व पर शंका रखिए|
यदि भगवान से प्रेम करना है तो आपको संसार के प्रत्येक जीव से प्रेम करना होगा, क्योंकि सब कुछ उसकी ही रचना है, और जो भगवान का अंश है उसमें भी परमात्मा का वास है|
मन से घृणा, निंदा, आलोचना, छल यह सब भाव निकाल दीजिए और प्रेम बांटते चलिए| जीवन को खुशहाल बनाने का इससे बेहतर कोई तरीका नहीं है और यदि आप ऐसा करेंगे तो भगवान स्वयं ही आपसे प्रेम करेंगे|