अधूरे ज्ञान से महाभारत काल में ही पूरी पृथ्वी और मानव जाति को खत्म हो सकती थी: यदि हम किसी कार्य में सफलता चाहते हैं तो हमें उस कार्य से संबंधित पूरी जानकारी होनी चाहिए तभी हमें कार्य में सफलता मिल सकती है। अगर हम कोई भी काम अधूरी जानकारी के साथ करते हैं तो वह हमारे लिए हानिकारक हो सकता है।
महाभारत के एक प्रसंग से हम समझ सकते हैं कि ब्रह्मास्त्र जैसे शक्तिशाली अस्त्रों का अधूरा ज्ञान होना कितना खतरनाक हो सकता है। दुर्योधन ने अपनी मृत्यु से पहले अश्वत्थामा को कौरव सेना का अंतिम सेनापति नियुक्त किया।
उन्होंने अकेले ही पांडवों के पांचों पुत्रों धृष्टधुम्र, शिखंडी सहित कई योद्धाओं का वध कर दिया। इसके बाद भी उनका गुस्सा कम नहीं हुआ। अर्जुन भी उसे मारने की कसम खाकर घूम रहा था।
दोनों के बीच भीषण युद्ध शुरू हो गया। दोनों ही सभी अस्त्र-शस्त्रों के अध्ययन में निपुण थे। युद्ध की स्थति बिगड़ती जा रही थी। ऐसे में अश्वत्थामा ने अपना शक्तिशाली ब्रह्मास्त्र अर्जुन पर छोड़ दिया। जवाब में अर्जुन ने भी अश्वत्थामा पर अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया।
दोनों हथियारों ने पूरी पृथ्वी और मानव जाति को नष्ट करने के शक्ति थी। यह देख वेदव्यास ने हस्तक्षेप किया और दोनों ब्रह्मास्त्रों को रोक दिया। उन्होंने अर्जुन और अश्वत्थामा दोनों को बहुत समझाया और दोनों को अपने-अपने अस्त्र वापस लेने को कहा|
व्यासजी की आज्ञा का पालन करते हुए अर्जुन ने तुरंत अपना ब्रह्मास्त्र वापस ले लिया, लेकिन अश्वत्थामा ने ऐसा नहीं किया। जब वेदव्यास ने अश्वत्थामा से पूछा कि उन्होंने अपना हथियार वापस क्यों नहीं लिया, तो उन्होंने जवाब दिया कि उन्हें ब्रह्मास्त्र वापस बुलाना नहीं आता और इस विद्या का ज्ञान नहीं है।
वेदव्यास को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने कहा कि आपने उस विद्या का उपयोग क्यों किया जिसका आपको पूरा ज्ञान नहीं है। यह पूरी सृष्टि के लिए एक बड़ा खतरा है। ऐसा कहकर वेदव्यास ने अश्वत्थामा ने श्राप भी दे दिया।
यह प्रसंग बताता है कि ज्ञान कैसा भी हो, हमें उसका पूरा ज्ञान होना चाहिए। अगर हम ज्ञान प्राप्त करने में जरा सी भी चूक करते हैं तो इसके घातक परिणाम हमें भुगतने पड़ सकते हैं।