हनुमानजी आजभी अमर होकर जीवित हैं: श्री राम और उनके परम भक्त हनुमान का रिश्ता ना केवल अनोखा था पर अटूट भी था | न केवल हनुमान जी के रोम रोम में भगवान राम का वास था बल्कि राम जी के लिए भी उनके भक्त हनुमान सबसे प्रिय हैं |
तभी तो ऐसा कहा जाता है दुनिया चले ना श्री राम के बिना रामजी चले ना हनुमान के बिना| जिस राम नाम से हनुमान जी की सांसे चलती थी उनके बिना वो एक पल भी जीवित नहीं रह सकते थे उस प्रभु द्वारा जल समाधि लेने के बाद हनुमान जी के ऊपर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा| उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे उनके सर से माता पिता का हाथ ही छिन गया हो।
माता पिता का हाथ सर से छिनने वाला है और उनको कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि वो जानते थे की अगर श्री राम ने देह त्यागने का निर्णय ले लिया है तो उसे कोई बदल नहीं सकता है, ऐसे में हनुमानजी अपना पीड़ा लेकर माता सीता के पास जा पोहुंचे और रोते रोते बोले की आपने तो मुझे अजर अमर होने का वरदान दे दिया मगर ऐसे जीवन का मैं करूंगा क्या जब मेरे आराध्य श्री राम ही नहीं रहेंगे आप कृपया ये वरदान वापस ले लो |
![Lord Hanuman getting Blessings from Sita](https://bhaktiastha.com/wp-content/uploads/2022/11/भगवान-हनुमान-माता-सीता-से-वरदान-प्राप्त-करते-हुए-1-1024x538.jpg)
यह सुनने के बाद माता सीता ने हनुमानजी को समझाने का काफी मगर हनुमानजी का दुख वो कम नहीं कर पाई, ऐसे में उन्होंने श्री राम स्मरण किया और श्री राम हनुमानजी के सामने प्रकट हो गए | श्री राम ने हनुमान जी को दुखी अवस्था में देख कर अपने गले लगा लिया और बोला की मुझे पता था की जैसे ही तुम्हे पता चलेगा की मैंने अपना देह त्यागने का निर्णय लिया है वैसे ही तुम माता सीता के पास जाओगे और उनसे अपना वरदान वसपस लेने की बात करोगे |
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पृथ्वी पर जो भी प्राणे आता है वो कभी अमर नहीं होता और तुमको जो वरदान मिला है ऐसा वरदान हर किसी को नहीं मिलता इसलिए तुम्हे जो वरदान मिला है इस वरदान का प्रयोग अच्छे कर्मों को करने के लिए करो |
एक समय ऐसा भी आएगा की धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा और धीरे धीरे धरती में पापियों की संख्या बढ़नी शुरू हो जायेगी और पापियों की संख्या अधिक होगी उस युग को कलयुग के नाम से जाना जाएगा ऐसे में धरती में तुम रहोगे तो राम नाम लेने वालों का बड़ा पार करवा पाओगे और राम के भक्तों का उत्थान तुमको ही करना पड़ेगा यही कारण है की तुमको ये वरदान दिया गया है |
अपने आराध्य से वरदान का महत्व बाद हनुमानजी धरती पर रहने के लिए राज़ी हो गए | जब श्री राम अंत में सरयू नदी में जल समाधि ले रहे थे तब भी उन्होंने हनुमानजी को समझाया की बाद इस संसार में राम नाम का प्रसार हनुमानजी को ही करना है और इसके पश्चात हनुमानजी हिमालय के पहाड़ियों में चले गए |
महाबली हनुमान भगवान शिव के ग्यारवे रुद्र अवतार थे इसलिए यह मान्यता है की वो अब भी हिमालय में कैलाश पर्वत के उत्तर में गंदमादन पर्वत पर अब भी निवास करते हैं और यह मान्यता है की जब भी भगवान राम का कोई परम भक्त श्री राम को अपने ह्रदय से याद करता है तो हनुमानजी उस परम् भक्त का बड़ा पार लगाने के लिए उस बक्त के पास पहुंच जाते हैं |