क्या हनुमानजी आज भी मनुष्यों के बीच मौजूद हैं? किस दिन वो सार्वजनिक रूप में लोगों के सामने प्रकट होंगे?

क्या हनुमानजी आज भी मनुष्यों के बीच मौजूद हैं: भगवान हनुमान भगवान शिव के आठ रुद्र अवतारों में से एक हैं और उनका जन्म नरक चतुर्दशी में अंजनी और केसरी के संतान के रूप में हुआ था।

यह मान्यता आज भी काफी प्रचलित है कि पवन पुत्र हनुमान आज भी इस कलियुग में इस संसार में मनुष्यों के बीच मौजूद हैं और समय समय पर इसके संकेत मिलते रहते हैं। 

ऐसा कहा जाता है की हनुमानजी को अजर अमर रहने का वरदान सीता माता से मिला हुआ है जब वे रामजी का संदेश सीता माता के पास लेकर गए थे जब उन्हें रावण छल से हरण कर अपने साथ लंका ले गया था।

हर युग में हनुमानजी ने खुद के मौजूद होने के संकेत दिए हैं| 

त्रेता युग में जब भगवान राम धर्म की स्थापना कर वैकुंठ में लौट रहे थे तब उन्होंने कलियुग में धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने हनुमानजी को अमरता का वरदान दिया था। रामजी ने कहा था कि कलियुग में जहां जहां मेरा नाम भेजा जाएगा वहाँ वहाँ हनुमानजी मौजूद रहेंगे और मेरे भक्तों की रक्षा और धर्म की रक्षा के लिए हनुमानजी कलियुग के अंत तक मौजूद रहेंगी।

द्वापर युग में भी हनुमानजी के होने के कई प्रमाण मिलते हैं। उन्होंने महाभारत में भीम की परीक्षा ली थी और श्री कृष्ण के आदेश पर उनकी पत्नी सत्यभामा, सुदर्शन चक्र और गरुड़ के शक्ति के अभिमान को तोड़ा, श्री कृष्ण के आदेश पर ही अर्जुन के रथ पर हनुमानजी सूक्ष्म रूप में सवार थे जब कुरुक्षत्र का रण चल रहा था। यही कारण है कि पहले भीष्म और फिर कर्ण के प्रहार के बाद भी अर्जुन का रथ सुरक्षित रहा।

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कलियुग में 16 वी सदी में सन्त कवि तुलसी दास जी को हनुमानजी के साक्षात दर्शन हुए।

एक कथा के अनुसार हनुमानजी ने तुलसीदास जी को कहा था कि राम और लक्षमण नियमित रूप से चित्रकूट आते रहते हैं, और जब आर्म और लक्ष्मण आएंगे तो वो तुलिसदास जी को तोते का रूप धारण कर वृक्ष पर से संकेत दे देंगे।

lord hanuman and lord shiva
हनुमानजी और भगवान शिव

इसके बाद तुलसीदास जी चित्रकूट घाट पर बैठ गए और सभी आने जाने वालों को चंदन लगाने लगे। इसी दौरान जब राम और लक्ष्मण वहां पहुंचे तो हनुमानजी गाने लगे “चित्रकूट के घाट पे भई सन्तन के भीड़।

तुलसीदास चंदन घिसै तिलक देत रघुबीर।”

हनुमानजी को सुनते ही तुलसीदास जी राम और लक्ष्मण जी को निहारने लगे और उनको एक साथ राम और लक्ष्मणजी के दर्शन हुए।

जब तुलसीदासजी की कीर्ति बढ़ने लगी तो इससे प्रभावित होकर एक बार अकबर ने उन्हें अपने दरबार में बुलाया और कोई चमत्कार दिखाने को कहा पर उन्होंने अकबर के इस बात को ठुकरा दिया और अकबर ने गुस्से में आकर तुलसीदासजी को जेल में बंद करवा दिया।

जेल में रहकर की तुलसीदासजी हनुमानजी का नाम जबते रहे और इसके बाद कुछ बंदरों ने जेल पर आक्रमण कर दिया और जेल की कैद में बंद तुलसीदासजी को छुड़वा लिया। कहा जाता है कि इस बंदरों के झुंड में हनुमानजी भी थे जिन्होंने अपने भक्त को बचाने के लिए आये।

ऐसा भी कहा जाता है कि श्री लंका में ऐसे कबीलाई लोग रहते हैं जिन्होंने साक्षात हनुमानजी को देखा था।

मातंग नाम के कबीले से जुड़े लोगों का दावा है कि श्री राम के वैकुंठ जाने के बाद हनुमानजी श्री लंका आ गए थे और जब तक हनुमानजी श्री लंका में रहे इस कबीले के लोहों ने उनकी सेवा की।

हनुमानजी ने इस कबीले के लोगों को ब्रम्हज्ञान का बोध करवाया और यह भी वादा किया कि हर 41 साल बाद वो आकर इस कबीले के लोगों को ब्रम्ह ज्ञान देते आते रहेंगे।

इसकी अलावा यह भी कहा जाता है कि कलियुग में जहाँ राम नाम जपा जाता है हनुमानजी वहाँ पर आते हैं।

जब कल्कि युग में भगवान विष्णु पुनः अवतार लेंगे तब हनुमानजी दूसरे चिरन्जीवियों के साथ सार्वजनिक रूप से प्रकट हो जाएंगे ।

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