क्या है मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण? कैसे मनुष्य अपने कामनाओं से मुक्ति पा सकता है? क्या सत्संग के जरिए मुक्ति प्राप्त की जा सकती है?

कैसे कामनाएँ मनुष्य के दुखों का कारण बनती है और क्या है विभिन्न प्रकार के यज्ञ: मनुष्य कभी ना कभी कोई ना कोई अपने जीवन में पाप जरूर करता है, क्योंकि मनुष्य बिना गलती किए जीवित रह ही नहीं सकता|

एक बार अर्जुन ने श्रीकृष्ण से पूछा कि ना चाहते हुए भी मनुष्य पाप क्यों करता है और पाप का फल भोगने के लिए नर्क में 84 लाख योनियों में जाता है|

यह सुन कर श्री कृष्णा अर्जुन को कहते हैं कि यह मनुष्य की कामना ही है जो मनुष्य से पाप करवाती है, कामना मनुष्य में क्रोध और लोभ को जन्म देती है और यही मनुष्य को पाप की ओर ले जाते हैं और मनुष्य पाप से दुखी होकर दुर्गति की तरफ जाता है|

कामना मनुष्य के मन, इंद्रियों, बुद्धि, अहम और विषयों में वास करती है, कामना मनुष्य की दुश्मन है जो उसे पतन की तरफ ढकेलती है|

कामना का नाश इंसान अपने ज्ञान से कर सकता है, मनुष्य के कर्म बंधन का कारण बनते हैं, मनुष्य अगर कोई कार्य दूसरे के भलाई के लिए करता है तो उसके वही कर्म उसके मुक्ति का  रास्ता बन जाते हैं|

अपने लिए स्वार्थ कामना से करें तो वही कर्म बंधन भोग हैं और प्रेम से करें तो वही कर्म मुक्ति आनंद योग का कारण बन जाता है|

अगर मनुष्य दूसरों के लिए कर्म करता है तो वह यज्ञ की श्रेणी में आता है|

गीता में कई प्रकार के यज्ञों के बारे में भी बताया गया है| जो मनुष्य दूसरे लोगों के हित में समय, संपत्ति, साधन लगाता है उसे द्रव्ययज्ञ कहा जाता है|

विभिन्न प्रकार के यज्ञ:

  • योग यज्ञ

अगर मनुष्य ईश्वर के प्राप्ति के उद्देश्य से कोई योग करता है तो उसे योग यज्ञ कहते हैं|

  • संयम यज्ञ

इंद्रियों का संयम करने को संयम यज्ञ कहा जाता है|

  • भक्ति यज्ञ

इसी तरह भगवान की शरण में जाने के लिए भक्ति यज्ञ है|

  • ज्ञान यज्ञ

अपने आप अपने आपको जानने के लिए शरीर से असंग हो जाना इसे ज्ञान यज्ञ कहा जाता है, सारे यज्ञों में सर्वश्रेष्ठ ज्ञान यज्ञ को माना जाता है| ज्ञान यज्ञ को करने के लिए किसी भी तरह का कोई पैसा खर्च नहीं होता है और इसे सब कर सकते हैं|

सत्संग
सत्संग

मनुष्य सत्संग से भी स्वतंत्रता का रास्ता प्राप्त कर सकता है| सत्संग करने से विवेक की प्राप्ति होती है और यह विवेक ही यज्ञ के लिए सामग्री का काम करता है| श्रद्धा, उत्कर्ष, अभिलाषा, इंद्रिय संयम इस यज्ञ में यंत्र का काम करते हैं इसलिए मनुष्य को यह प्रयास करना चाहिए कि ज्ञान रूपी यज्ञ में अपनी कामनाओं की आहुति डालकर जीवन मुक्ति का फल प्राप्त करे|

Leave a Comment