कौन थी महाभारत काल की वो शक्तिशाली और गुणी स्त्रियाँ जिन्होंने किसी न किसी रूप में महाभारत में हुई घटनाओं को प्रभावित किया है?

महाभारत काल की शक्तिशाली और गुणी स्त्रियाँ: महाभारत काल में कुछ ऐसी वीर स्त्रियां भी थी जो बहुत ही शक्तिशाली और गुणी थी पर उनकी चमत्कारी शक्तियों का जिक्र ज्यादा नहीं किया जाता।

कुछ ऐसी ही शक्तिशाली और गुणी स्त्रियाँ है-

हिडिंबा

ऐसी स्त्रियों में से एक स्त्री हिडिंबा थी। वह हिडिंब राक्षस की बहन थी। हिडिंबा बहुत से मायावी शक्तियां जानती थी और वह अपना रूप बदलने में माहिर थी, और अपने साथ कई लोगों को आकाश में उड़ा कर ले जाने में सक्षम भी थी, राक्षसी हिडिंबा के पास एक अद्भुत शक्ति थी कि वह गर्भधारण करने के साथ ही किसी संतान को जन्म दे सकती थी।

इसी शक्ति का प्रयोग कर हिडिंबा ने घटोत्कच को जन्म दिया जो कुरुक्षेत्र के युद्ध में पांडवों की तरफ से लड़ा और कौरवों की सेना को क्षति पहुंचाई |

गांधारी

और एक स्त्री का नाम गांधारी था, वह गांधार देश के सुबल नामक राजा की पुत्री थी और शिव भगवान की बहुत बड़ी भक्त थी उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उनको शिव जी ने सौ पुत्रों का वर दिया था। यही कारण था की धृतराष्ट ने गांधारी के साथ मिलकर सौ पुत्रों को जन्म दिया था|

गांधारी
गांधारी

कुंती

महाभारत काल में एक शक्तिशाली स्त्री का नाम कुंती भी था। हस्तिनापुर की रानी होने के बावजूद  कुंती एक तपस्वी स्त्री थी और इंद्रप्रस्थ की राजमाता थी।

कहा जाता है कि एक बार ऋषि दुर्वासा कुंती की सेवा से इतने प्रसन्न हुए की कुंती को ऋषि दुर्वासा ने एक शक्तिशाली मंत्र प्रदान किया।

यह मंत्र इतना शक्तिशाली था कि अगर एक वह किसी देवता का स्मरण कर लेगी तो वह देवता प्रकट होकर कुंती की मनोकामना पूर्ण कर देंगे। इस मंत्र की शक्ति को परखने के कारण ही कुंती ने कर्ण को जन्म दिया था, और कुरुक्षत्र के युद्ध में करण ने कौरवों के तरफ से लड़ते हुए पांडवों की सेना के बहुत सैनिक मारे और उनकी सेना को क्षति पोहउँचाया|

उलूपी

उलूपी भी महाभारत काल की एक स्त्री थी। वह एक जलकन्या भी थी और एक नागकन्या भी थी। ऐरावत वंश नागराज वासुकी और राजमाता विश वाहिनी की दत्तक पुत्री थी। उलूपी के अंदर कई मायावी शक्तियां थी।

इंद्रप्रस्थ की जब स्थापना हुई तब अर्जुन राजदूत बनकर मैत्री अभियान पर निकले और जब वह नाग लोक पहुंचे वही उनकी मुलाकात उलूपी से हुई और उलूपी अर्जुन से मुड़कर मुग्ध हो गई।

उलूपी ने अर्जुन को अपने साथ विवाह करने का अनुरोध किया और जब अर्जुन ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया तो दोनों का विवाह हो गया इस विवाह से उलूपी इतनी प्रसन्न हुई कि उसने अर्जुन को समस्त जलचरों का स्वामी होने का वरदान दे दिया।

महाभारत के युद्ध में जब अर्जुन ने अपने गुरु भीष्म पितामह को मारा था तब वह ब्रह्मापुत्र से शापित हो गए थे और उलूपी ही थी जिसने अर्जुन को इस श्राप से मुक्त किया था।

सत्यवती

एक स्त्री और भी थी जिसका नाम सत्यवती था| जो शांतनु की दूसरी पत्नी थी| सत्यवती का दूसरा नाम मत्स्यगंधा भी था|

सत्यवती का जन्म मछली के गर्भ से हुआ था और सत्यवती के तन से मछली की गंध आती रहती थी पाराशर ऋषि को मत्स्यगंधा से प्रेम हुआ था और इन दोनों को एक पुत्र की प्राप्ति हुई जो आगे चलकर वेदव्यास कहलाए|

पाराशर ऋषि ने सत्यवती को यह वरदान दिया था कि सत्यवती के शरीर से मछली की गंद की जगह बहुत ही अच्छी खुशबू आएगी| इस अद्भुत खुशबू के कारण मत्स्यगंधा का नाम सत्यवती रख दिया गया|

सत्यवती का मतलब होता है सत्य की गंध वाली। सत्यवती के पिता को महाराज शांतनु के साथ विवाह करने के लिए मनाने के लिए ही भीष्म ने आजीवन ब्रमहचारी रहने की प्रतिज्ञा ली थी|

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