saraswati vandana lyrics in hindi : माता सरस्वती की वंदना

saraswati vandana lyrics in hindi सनातन धर्म में माता सरस्वती को, विद्या,कला,संगीत,और साहित्य की देवी के रूप में पूजा जाता है। जिन्हें भारत में मुख्य देवी के रूप में जाना जाता है। माता सरस्वती त्रिदेवीयो में से एक है। माता सरस्वती के देवी रूप को सबसे पहले वैदिक पूराण ऋग्वेद में लिखा गया था। और माता सरस्वती की पूजा के लिए ही वसंत पंचमी मनाई जाती है। आपको बता दें की भारत के पश्चिम एवं मध्य भारत में कुछ जैन लोग भी माता सरस्वती की भी पूजा करते है, कुछ बुद्ध समुदाय के लोग भी सरस्वती माता को पूजते है। माता सरस्वती को एक पवित्र नदी के रूप में भी पूजा जाता ह। कुछ पुराणों में माता सरस्वती को वेदों की माता माना गया है।

saraswati vandana lyrics in hindi : माता सरस्वती की वंदना
माता सरस्वती की वंदना

माता सरस्वती को भारत से बाहर जापान, म्यांमार,कंबोडिया, नेपाल, थाईलैंड, वियतनाम और इण्डोनेशिया में भी सरस्वती देवी की पूजा की जाती है।

द्रविण भारत तेलगु में माता सरस्वती को चादुवुला थल्ली एवं शारदा नाम से भी जाना जाता है। और कोंकणी भाषा में सरस्वती माता को शारदा, वीनापानी, पुस्तका धारिणी, विद्यादायनी कहा जाता है। कन्नड़ में माता सरस्वती के बहुत से नाम प्रख्यात है, जैसे शारदे, शारदाअम्बा, वाणी, वीनापानी आदि और तमिल में सरस्वती देवी को कलैमंगल, कलैवानी, वाणी, भारती नाम से जानते है। इसके अतिरिक्त सरस्वती देवी को पुस्तका धारणी, वकादेवी, वर्धनायाकी, सावत्री एवं गायत्री नाम से भी जानते है। नेपाल एवं भारत के अलावा सरस्वती को बर्मीज़, तिपिताका भी कहते है।

सरस्वती वंदना (saraswati vandana lyrics in hindi meaning)-

सरस्वती वंदना (saraswati vandana )मन्त्र एक महत्वपूर्ण वैदिक मन्त्र है, जिसे ज्ञान और विद्या के लिए पाठ किया जाता है सरस्वती माता को मानने वाले उनके भक्त, सरस्वती वंदना मन्त्र को अच्छे भाग्य और ज्ञान के लिए उसका पाठ करते है।

या कुंदेंदुतुषारहार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता |
या वीणावरदण्डमंडितकरा, या श्वेतपद्मासना ||
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभ्रृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता |
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा ||

अर्थात: जो विद्या सरस्वती देवी कुंद के पुष्प, शीतल चन्द्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह श्वेत वर्ण की है जिन्होंने श्वेत वर्ण के वस्त्र धारण किये हुए है, जिनके हाथ में वीणा शोभायमान है और जो श्वेत कमल पर विराजित हैं तथा ब्रह्मा,विष्णु और महेश और सभी देवता जिनकी नित्य वन्दना करते है वही अज्ञान के अन्धकार को दूर करने वाली माँ भगवती हमारी रक्षा करें।।

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धाकारापाहां|
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदां||

अर्थात: शुक्ल वर्ण वाली, सम्पूर्ण जगत में व्याप्त, महाशक्ति ब्रह्मस्वरूपीणी, आदिशक्ति परब्रहम के विषय में किये गये विचार एवम चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से मुक्त करने वाली, अज्ञान के अंधकार को मिटाने वाली, हाथो में वीणा,स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजित बुध्दि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, माँ भगवती शारदा को मैं वंदन करती हूँ।

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