shiv tandv strom lyrics in hindi |शिव तांडव स्त्रोत हिंदी अर्थ सहित|Shiv Tandav Stotram Meaning in hindi

shiv tandv strom lyrics in hindi : देवों के देव महादेव ज्यादातर लोगों के ईस्ट देव हैं इस शिव तांडव स्त्रोत का निर्माण भगवन शिव के सबसे बड़े भक्त रावण द्वारा किया गया था एक दिन जब रावण ने थाना की वह कैलाशपति  महा देव को अपनी सोने की लंका में ले जायेगा परन्तु महादेव ने मना कर दिया लकिन रावण बहुत हटी था इस लिए उसने पुरे कैलाश पर्वत को उठाने लगा यह देख महादेव को क्रोध आ गया और कैलाश पर्वत पर अपने पैर का एक अंगूठा रखा जिससे रावण के हाथ पर्वत के नीचे दबने लगे और रावण शिव तांडव स्त्रोत गाने लगा जिससे भोले बाबा प्रसन्न हुए और रावण को मुक्त कर दिया

शिव तांडव स्त्रोत हिंदी अर्थ सहित|Shiv Tandav Stotram Meaning in hindi 

जटाटवी गलज्जल प्रवाह पावित स्थले

गलेऽव लम्ब्य लम्बिताम भुजंग तुंग मालिकाम्‌ |

डमड्ड मड्ड मड्ड मन्नी नाद वड्ड मर्वयम

चकार चंडतांडवम तनोतु नः शिवः शिवम || 1 ||

लंकेश रावण मनवांछित इच्छा के लिए शिव जी से प्रार्थना करता है कि जो श्री महादेव जी जटा रूपी वन से गिरते हुए पवित्र जल के वेग से पवित्र कंठ में विशाल सर्पों की माला को धारण कर डम डम का रव उत्पन्न करने वाले डमरु को बजाते हुए तांडव नृत्य करते हैं वह श्री महादेव जी हमारा कल्याण करें ।। 1 ।।

जटा कटा हसम भ्रमम भ्रमन्नि लिंपनिर्झरी

विलोलवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि ||

धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ल ललाट पट्टपावके

किशोर चंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममम || 2 ||

तांडव नृत्य के समय जटा रूपी कूप में वेग से भ्रमण करती हुई सुरसरि की लोल लहर रूपी लताओं से सुशोभित और धक धक की ध्वनि से युक्त जलने वाली है अग्नि जिसमें ऐसे ललाट वाले तथा द्वितीया के चंद्र को आभूषण के समान धारण करने वाले श्री महादेव जी के प्रति मेरी क्षण प्रति क्षण प्रीति होवे ।। 2 ।।

धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधु बंधुर-

स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मान मानसे ||

कृपा कटाक्ष धारणी निरुद्ध दुर्धरापदि

कवचिद दिगम्बरे मनो विनोद मेतु वस्तुनि || 3 ||

गिरिराज हिमालय की कन्या पार्वती के क्रीडा के बंधु और अत्यंत रमणीय प्रकाशवान कृपा कटाक्षों से भक्तों की बड़ी-बड़ी आपत्तियों का नाश करने वाली वाणी से परे नग्न रूप श्री महादेव जी के प्रति मेरा मन आनंद का लाभ करें ।। 3 ।।

शिव तांडव स्त्रोत हिंदी अर्थ सहित|Shiv Tandav Stotram Meaning in hindi 

जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणा मणिप्रभा-

कदंब कुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्व धूमुखे ||

मदांध सिंधु रस्फुरत्व गुत्तरीय मेदुरे

मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि || 4 ||

नृत्य करने के समय जब जटाओं से लिपटे हुए फणींद्रों के फणों तथा मणियों की देदीप्यमान पीत आभा फैलती है, जिससे दिशाएं पीली हो जाती हैं, तब ऐसा लक्षित होता है मानो कामारि ने दिशाओं रूपी प्रमदाओं के मुख पर केसर मल दिया है, ऐसे और मदांध गजासुर के चर्म को ओढ़नें वाले अत्यंत सुशोभित श्री महादेव जी के प्रति मेरा मन परम आनंद को प्राप्त होवे।। 4 ।।

सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-

प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रि पीठभूः ||

भुजंगराज मालया निबद्ध जाटजूटकः

श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः || 5 ||

इंद्र ईत्यादिक देवों के मुकटों की पुष्प मालाओं से गिरे हुए पराग से धूसर चरण कमल वाले और जिनका जटा जूट नागराज वासुकी के लपेटे से बंध रहा है और जिनके विशाल मस्तक में राका पति विराजमान हैं ऐसे सदाशिव हमें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष रूपी संपत्ति प्रदान करें ।। 5 ।।(Shiv tandav stotram meaning)

ललाट चत्वरज्वलद्धनंजय स्फुरिगभा-

निपीत पंचसायकम निमन्निलिंप नायम्‌ ||

सुधा मयुख लेखया विराज मानशेखरं

महा कपालि संपदे शिरोजया लमस्तू नः || 6 ||

जिन्होंने अपने भाल रूपी प्रांगण में धक-धक जलते हुए अग्नि के कण से कामदेव को भस्म कर दिया जिनको ब्रह्मादिक सुरों के अधिपति प्रणाम करते हैं जिनका उन्नत ललाट चंद्रमा की रस्मियों से सुशोभित रहता है और जिनकी जटाओं में कल्याणी श्री गंगा जी निवास करती हैं ऐसे कपाल धारी तेजो मूर्ति सदाशिव हमें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पदार्थ देवें ।। 6 ।।

कराल भाल पट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल-

द्धनंजया धरीकृत प्रचंड पंचसायके ।

धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्र चित्र पत्रक-

प्रकल्प नैक शिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम || 7 ||

जिन शिव शंकर ने अपने विकराल ललाट रूपी मैदान में प्रज्वलित अग्नि में प्रबल कामदेव की आहुति दे दिया जो गिरिराज किशोरी पार्वती जी के स्तनों पर चित्रकारी करने में अत्यंत कुशल है ऐसे त्रिनेत्र महादेव जी के विषय मेरी प्रीति होवे ।। 7 ।।

नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्ध रस्फुर-

त्कुहु निशीथि नीतमः प्रबंध बंधु कंधरः ||

निलिम्प निर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः

कला निधान बंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः || 8 ||

अमावस्या की अर्धरात्रि को स्वयं ही अंधकार अधिक होता है परंतु यदि उस समय नवीन मेघ मंडली आवे तो और भी निबिड़ अंकार हो जाता है । ऐसे घनघोर अंधकार से भी अधिक काली है ग्रीवा जिसकी ऐसे शिवजी हाथी के चर्म को ओढ़ने वाले हैं त्रैलोक्य का भरण पोषण करने वाले हैं और मस्तक पर चंद्रमा धारण करने वाले हैं ऐसे सदाशिव हमारे धन-संपत्ति की वृद्धि करें ।। 8 ।।

प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंच कालि मच्छटा-

विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंध कंधरम्‌ ||

स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं

गजच्छिदांध कच्छिदं तमंत कच्छिदं भजे || 9 ||

जिनके सुंदर कंठ की परम सुंदर शोभा खिले हुए नीलकमल के चारों ओर फैली हुई नीलवर्ण कांति का निरादर करती है ऐसे कामदेव को भस्म करने वाले त्रिपुरारी, दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने वाले, गजासुर का संघार करने वाले, और अंधकासुर का नाश करने वाले कालांतक शिव जी को मैं भजता हूं ।। 9 ।।

Shiv Tandav Stotram Meaning In Hindi, शिव तांडव स्त्रोत हिंदी अर्थ सहित

अखर्व सर्वमंगला कला कदम्बमंजरी-

रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌ ||

स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं

गजांत कांध कांतकं तमंत कांतकम भजे || 10 ||

अनेक प्रकार के मंगलों को प्रचुरता से देने वाले 64 कला रूपी कदंब के वृक्ष की मंजरी का रसपान करने वाले अर्थात सर्व कला प्रवीण कामारी त्रिपुरारी भक्त भय हारी दक्ष यज्ञ विध्वंस कारी गजा सुर संघ आरी अंधकासुर के हनन करने वाले और मृत्यु का भय दूर करने वाले श्री शिव जी की मैं प्रार्थना करता हूं ।। 10 ।।

जयत्वद भ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंग मश्वसद,

विनिर्ग मक्र मस्फुरत्कराल भाल हव्यवाट्,

धिमिन्ध मिधि मिन्ध्व नन्मृदंग तुंगमंगल-

ध्वनि क्रम प्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः || 11 ||

नृत्य के समय अधिक वेग से घूमने पर मस्तक में लिपटे हुए सर्पों के निवास से और भी अधिक प्रज्ज्वलित हुई है कराल भाल की अग्नि चिंकी और मृदंग की धिंमिं धिंमिं की मंगल धन की वृद्धि के अनुसार अपने तांडव नृत्य की गति को बढ़ाने वाले शिव जी महाराज की जय हो ।। 11 ।।

दृषद्विचित्र तल्पयोर्भुजंग मौक्तिकम स्रजो-

र्गरिष्ठरत्न लोष्टयोः सुहृद्विपक्ष पक्षयोः ||

तृणार विंद चक्षुषोः प्रजा मही महेन्द्रयोः

समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजाम्यहम || 12 ||

वह कौन सा शुभ समय होगा जब मैं पत्थर और पुष्पों की सैया में सर्प और मोतियों की माला में बहुमूल्य रत्न और मिट्टी के ढेलो में शत्रु और मित्र में तृण और नील कमल के समान नेत्र वाली स्त्री में तथा प्रजा और चक्रवर्ती राजा में एक दृष्टि करके शिव जी का भजन करूंगा ।। 12 ।।

Shiv Tandav Stotram Meaning In Hindi, शिव तांडव स्त्रोत हिंदी अर्थ सहित

कदा निलिं पनिर्झरी निकुञ्ज कोटरे वसन्‌

विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌ ||

विमुक्त लोल लोचनो ललाम भाल लग्नकः

शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌सदा सुखी भवाम्यहम्‌ || 13 ||

वह कौन सा कल्याणकारी समय होगा जिस समय मैं समस्त दुर्वासनाओं का परित्याग कर सुरसरि तट के कुंज में निवास कर के शिव पर अंजुली बांधती हुई चंचल नेत्र वाली स्त्रियों में श्रेष्ठ जगत जननी श्री पार्वती जी को भी भाग्य बस प्राप्त हुए अर्थात दूसरों को दुर्लभ शिव, शिव का मंत्र का उच्चारण करता हुआ परम आनंद को प्राप्त होउंगा ।।13 ।।

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-

निगुम्फ निर्भक्षरन्म धूष्णिका मनोहरः ||

तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनीं महनिशं

परिश्रय परं पदं तदंगजत्वि षांचयः || 14 ||

इंद्रपुरी की अप्सराओं के सिर से गिरी हुई निवारी के पुष्पों की मालाओं के पराग की उष्णता से उन्नत हुए पसीने से सुशोभित परम शोभा का सर्वश्रेष्ठ स्थान और रात दिन आनंद देने वाली सदाशिव के शरीर की कांति का जो समूह है वह हमारे मन के आनंद की वृद्धि करें ।। 14 ।।

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी

महाष्ट सिद्धि कामिनी जनावहूत जल्पना ||

विमुक्त वाम लोचन विवाह कालिक ध्वनिः

शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ || 15 ||

भयानक बड़वानल के समान पापों को भस्म करने में प्रचंड अमंगलों का विनाश करने वाले अष्ट सिद्धियों के के सहित स्त्रियां गाती हैं गीत जिसमें और शिव शिव यह मंत्र ही है आभूषण जिसका ऐसी स्वयं मुक्त भाव जगन्माता पार्वती जी के विवाह के समय की ध्वनि संसार को जय प्रदान करने वाली ।। 15 ।।

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