श्री कृष्ण स्त्रोत का पाठ करने से भगवान श्री कृष्ण बहुत प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं
श्री कृष्ण स्त्रोत :shree krisn strom
वन्दे नवघनश्यामं पीतकौशेयवाससं।
सानन्दं सुन्दरं शुद्धं श्रीकृष्णं प्रकृतेः परम्॥१॥
राधेशं राधिकाप्राणवल्लभं वल्लवीसुतं।
राधासेवितपादाब्जं राधावक्षःस्थलस्थितम्॥२॥
राधानुगं राधिकेशं राधानुकृतमानसं।
राधाधारं भवाधारं सर्वाधारं नमामि तम्॥३॥
राधाहृत्पद्ममध्ये च वसन्तं सन्ततं शुभं।
राधासहचरं शश्वद्राधाज्ञापरिपालकम् ॥४॥
ध्यायन्ते योगिनो योगात् सिद्धाः सिद्धेश्वराश्च यम्।
तं ध्यायेत् सन्ततं शुद्धं भगवन्तं सनातनम् ॥५॥
सेवने सततं सन्तो ब्रह्मेशशेषसंज्ञकाः।
सेवन्ते निर्गुणब्रह्म भगवन्तं सनातनं॥६॥
निर्लिप्तं च निरीहं च परमानन्दमीश्वरं।
नित्यं सत्यं च परमं भगवन्तं सनातनं॥७॥
यं सृष्टेरादिभूतं च सर्वबीजं परात्परं।
योगिनस्तं प्रपद्यन्ते भगवन्तं सनातनं॥८॥
बीजं नानावताराणां सर्वकारणकारणं।
वेदाऽवेद्यं वेदबीजं वेदकारणकारणम् ॥९॥

श्री कृष्ण स्तोत्र पाठ करने के लाभ
श्री कृष्ण स्तोत्र पाठ करने से भगवान श्री कृष्ण हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं। और श्री कृष्ण जी की असीम कृपा प्राप्त होती है
यह पाठ श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर करना बहुत शुभ माना जाता है
इस पाठ को रोजाना करने से समस्याओं का अंत हो जाता है
श्री कृष्ण स्तोत्र पाठ को नियमित रूप से करने पर श्री कृष्ण जी बहुत प्रसन होते है
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