किसने रावण का नाम रखा? रावण इतना बुध्दिमयन कैसे बना? किसने रावण के मृत्यु के बाद उसको जीवित करने की कोशिश की?

किसने रावण का नाम रखा: शिव की भक्ति में लीन रावण कैलाश को उठाकर लंका में ले जाने की कोशिश कर रहा था|

रावण के इस कर्म को देख भगवान शिव बहुत ही गुस्सा हो गए और उन्होंने अपने अंगूठे से कैलाश को दबा दिया जिसकी वजह से रावण की एक उंगली कैलाश के नीचे दब गई और उसे बहुत दर्द होने लगा|

दर्द होने के बावजूद भी रावण शिवजी की उपासना करते रहा, यह देख कर शिवजी बहुत ही प्रभावित हुए और रावण की इस भक्ति भाव को देखकर भगवान शिव अत्यंत ही प्रसन्न हुए और उसे रावण की उपाधि दी और इसी तरह रावण का नाम पड़ा।

रावण एक घोर तपस्वी था उसने अपने तप के बल पर काफी सिद्धियां हासिल की थी, जो रावण को दूसरे राक्षसों की अपेक्षा सर्व शक्तिशाली और अद्भुत बनाती थी।

एक रहस्य रावण के जन्म से भी जुड़ा हुआ है| रावण के पिता एक ब्राह्मण थे और रावण की माता एक राक्षसी थी, इस कारण रावण के अंदर ब्राह्मणों जैसा ज्ञान और राक्षसों की जैसी शक्ति थी।

रावण काफी बुद्धिमान और मायावी था, इसलिए किसी को भी अपने बातों के जाल में फंसाना बहुत ही आसान था इन्हीं कारणों से रावण ने इंद्र देवता, शनि देवता और दूसरे देवताओं को बंदी बना लिया था।

रावण ने कई पौराणिक और आध्यात्मिक ग्रन्थों की रचना की थी, इनमें से सबसे चर्चित लाल पुस्तक है, जिसका उपयोग आज भी तांत्रिक काले विद्या और वशीकरण के लिए करते हैं| कुछ पंडित इस पुस्तक का प्रयोग कुंडली बताने के लिए भी करते हैं और यह आज भी इसका इस्तेमाल किया जाता है| इससे यह पता चलता है कि रावण का ज्ञान इस कलयुग में भी उपयोगी है|

रावण एक अच्छा शासक था जिसने अपनी प्रजा को सुख सुविधाओं से परिपूर्ण रखने का प्रयास किया| इन कारणों की वजह से रावण को आज भी श्रीलंका में पूजा जाता है और भारत के कई राज्यों में दशहरे में रावण के पुतले को जलाया नहीं जाता उस दिन रावण को पूजा जाता है।

रावण रुद्र वीणा के साथ
रावण रुद्र वीणा के साथ

रावण रूद्र वीणा बजाने में माहिर था जिसे बजाकर उसने कई बार ब्रह्मा जी और शिव जी को प्रसन्न भी किया और उनको प्रसन्न करके कई ऐसे वरदान भी मांगे जिससे रावण सर्व शक्तिशाली बन गया|

रावण अपने परिवार को बहुत ही प्यार करता था उसके लिए सभी परिवार के सदस्य बहुत ही बहुमूल्य थे| यही कारण है कि रावण के सामने जब शूर्पणखा अपना कटा हुआ नाक लेकर पहुंची तब रावण गुस्से से क्रोधित हो गया था और उसके लिए उस गुस्से में धर्म और अधर्म का भेद मिट गया था।

एक कथा के अनुसार जब रावण की मृत्यु हुई थी तब उसके शरीर को नाग जाति के लोग पुनर्जीवित करने के लिए अपने साथ लेकर गए| उनका मानना था कि जब लक्ष्मण को संजीवनी बूटी से पुनर्जीवित किया जा सकता है, तब रावण के साथ ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता?

परंतु अनेक प्रयासों के बाद भी वह असफल रहे और असफल रहने के बाद उन्होंने रावण के शव को 158 किलोमीटर दूर रंगाला में ताबूत में रख दिया| इसकी सत्यता को परखने के लिए उस जगह कई बार शोध में किए गए और वहां एक 18 फुट लंबा और 5 फुट चौड़ा ताबूत भी मिला|

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